रविवार, 21 फ़रवरी 2010

मोरपंख

मेरे MBA के दोस्तों के नाम....
मोरपंख
उमंग है तरंग है, 
मस्ती के रंग है,
न फ़िक्र है ज़माने की
जो दोस्त सारे संग है.
दिल बड़ा रंगीन है,
सारा जहान हसीन है.
जो है सब अपने लिए,
आँखों में कई सपने लिए.
खुला आसमान है,
                         जिन्दगी पतंग है....//उमंग है तरंग है....
तकरार है  इकरार भी,
शिकवे भी है और प्यार भी,
बचपन सा साफ़ दिल है 
तारों सी झीलमिल है.
होठो पे तराने है ,
भई हम तो दीवाने है.
जिन्दगी जीने का 
                           यही हमारा ढंग है.....//उमंग है तरंग है.....  
कल न होंगे साथ हम 
याद आएगी ये कहानी,
खट्टी मीठी यादो के संग 
छोड़ जाएगी जवानी.
दिल लौट आएगा फिर यही,
और आँखों में होगा पानी.
सहेज लो इन लम्हों को,
ये किताबो में रखने को मोरपंख है..

उमंग है तरंग है, 
मस्ती के रंग है,
न फ़िक्र है ज़माने की
   जो दोस्त सरे संग है.....


1 टिप्पणी:

  1. wow...... mishraji yahi to chij hai jo aapko dusaro se alaga banati hai.... i really appriciate u that u r the best poet & good man in my life, congratualation for this blog. may god give u success in ur life all the best for u future THANK'S FOR EVERYTHINK

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