शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

अन्ना से ...


देखकर अचरज हुआ 

खुद मसीहा जुबान से फिर गया,

उदय होते होते सूरज 

काली घटाओं से घिर गया,

 

लता को खुद पर चढ़ता देख 

वृक्ष स्वयं टूट कर गिर गया ......

रविवार, 16 सितंबर 2012

भारत खोल

भारत बंद करनेवालों पर 

जमकर हल्ला बोलेंगे ,

खोलने देश की किस्मत 

पूरा भारत खोलेंगे।।


खोलेंगे सत्ता के गलियारों के 

परदे मोटे मोटे,

खोलेंगे लाल फीतों में बंद 

सपने छोटे छोटे .


खोलेंगे सच

 रक्तरंजित हाथों का,

खोलेंगे राज 

विदेशी बैंक के खातों का .


जुबान पर लगे ताले  खोलेंगे 

मन के दरवाजे खोलेंगे 

खोलेंगे राहें

 मंजिल तक जाने को,

 

खोलेंगे दिल

 दिल से मिलाने को, 

 

अबकी बार 

बात कुछ नयी बोलेंगे,

बंद पड़ा है पूरा का पूरा 

आओ मिलकर भारत खोलेंगे।।





शनिवार, 15 सितंबर 2012

तिरंगे ने कहा

तिरंगे ने मुझसे कहा 

ऐ जोशीले नौजवान 

मेरे पीछे चलने से पहले 

हो सके तो करना एक काम ,

परख के जरुर देखना उन हाथों को 

जिन्होंने मुझे रखा हो थाम ...

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

सपने पानी पानी

 

मैंने बिज बोये 

कुछ सपने संजोये,

जब आसमान से न बरसा 

पलकों को भिगो गया पानी ...


अपनी  हिम्मत संजोये 

मैंने फिर बिज बोये 

बरसा जो कहर बनकर 

मेरे सपने डुबो गया पानी .....

कागज पी गया पानी

मेरे गाँव की नदी इस बरस सुखी है,

सुना है किसी बांध पर रुकी है।

अख़बार में पढ़ा वहां से 

नहर हर खेत तक जाती है,

सरकारी दफ्तर में बतौर सबूत ,

कागज के बड़े बड़े पुलिंदे है।

मेरे बच्चे कागज पढना सिख रहे है,

शायद वो कभी समझ पाए 

कागज कैसे पी गया 

मेरी नदी का पानी ......

 


ऐसा क्यों माँ ?

 

अस्पताल में बेड पर लेटे 

छुटकू ने बहुत सोचा 

फिर अपनी माँ का आँचल खिंचा

बोला ऐसा क्यूँ माँ ?

स्कुल की दीदी कहती है,

करोडो रूपये लगाकर बने कारखाने 

नदी को गन्दा करते है .

सरकार फिर करोडो रूपये लगाकर 

उसे साफ़ करवाती है।

 

फिर भी डाक्टर दीदी कहती है 

हमारे पानी में करोडो कीटाणु है,

हर साल इससे करोडो लोग बीमार होते है। 

 

माँ कल अस्पताल में मंत्रीजी आये थे,

वो प्लास्टिक की बोतल का पानी 

पि रहे थे। 

पर मुझे प्लास्टिक की बोतल का पानी 

सुई से चढ़ाया।

ऐसा क्यों माँ ?





संसद का स्टडी टूर

एक पालक का शिक्षिका के नाम पत्र ...


मैडम जी 

जब से मेरा बेटा संसद के स्टडी टूर से आया है,

उसके स्वाभाव में काफी बदलाव आया है .

दो रूपये के सामान को 

दस का बतलाता है .

जवाब पूछो तो 

यह मेरे खिलाफ साजिश है 

कहकर जोर जोर से चिल्लाता है ..

अपनी बात मनवाने 

सौ झूठे वादे करता है,

बात बेबात  पड़ोस के बच्चों से झगड़ता  है ..

संसद देखकर उसे लगता है 

 हमारे यहाँ हर गलती चलती है .

मैडम अगला स्टडी टूर जेल ले जाना ,

ताकि मेरा बेटा जाने ,

हमारे यहाँ गलती की सजा भी मिलती है  ....

बुधवार, 5 सितंबर 2012

गीत नवनिर्माण का

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

शोषित है जो , पीड़ित है जो,

उनके काज हम करें .

निर्बल जो है दबे हुए,

आवाज उनकी हम बनें .

लालिमा है छा रही ,

प्रभात अब प्रतीत है .

स्मृति में अतीत है,

भविष्य का ये गीत है .

नए प्रारंभ का .. संकल्प आज में लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

 

भूख के श्राप से,

अविद्या के  पाप से,

जल रहा मनुष्य है,

भ्रष्टता के ताप से .

ज्ञानवान सब बने,

चरित्रवान सब बनें,

मुक्त हो समाज अब,

दरिद्रता अभिशाप से .

एक एक दीप जले .. तिमिर नाश के लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

 

श्रम का अधिष्ठान है,

मन में भगवान् है,

कल्पना के पंख है,

विज्ञानं की उड़ान है .

प्रलोभनों को छोड़कर ,

बंधनों को तोड़कर ,

बढे चले थके नहीं ,

विपत्ति से झुकें नहीं .

जीवन यह समर्पित है ... नवनिर्माण के लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

बुधवार, 15 अगस्त 2012

मुफ्त की क्रांति

मुफ्त  की  क्रांति 


खिड़की से झांककर

देखता हूँ मोर्चा , सुनता हूँ नारे .

 टी वि पर देखता हूँ

आन्दोलन की ख़बरें , क्रांति की हुंकारें ....


चाहता हूँ  एक मसीहा

जो सब कुछ  बदल दे ,

मुफ्त में मुझे,

एक  रोषण, खुशहाल सा कल  दे.......


जिता हूँ डर डर कर ,

मन को मसोसकर ,

चाहता हूँ परिवर्तन

थाली में परोसकर .......


चाहता हूँ दरिया में सैलाब तो आये

और बिना छुए निकल जाये मेरे खेत के दाने को,

फिर बह कर आयी मिट्टी पर

हक़ हो सिर्फ मेरा ,

उसपर अपना स्वार्थ उगाने को.....


शायद जिन्दगी में अच्छी उम्मीद रखना

बहुत जरुरी है,

पर उसे कोई और पूरा करे,

यह तो सरासर हरामखोरी है ....


join fight against corruption... don't just be a mute spectator....