शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की परिभाषा 
हांसिल करने की हवस नही,
खोने के भय से विवश नही,
परिणाम में आवंटित नहीं,
हीनता से कुंठित नहीं,
   पवित्र, निर्भय, समर्पित श्रेष्ठ यह भावना 
सृष्टि  में उर्जा का संचार है,
दीवानगी, बेखुदी, मोहब्बत कह लो,
प्यार है तो प्यार है.... 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें