शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

माटी














माटी
माटी में ही जन्मे है..माटी में ही मिल जाना है.
तन की माटी होने से पहले माटी का कर्ज चुकाना है.
माटी में माँ की ममता है जो देती सच्चा प्यार हमें,
हर सुख वैभव यह देती है देती अन्न धन के भण्डार हमें,
ये हमसे भले कुछ न मांगे ,
जीवन इसको ही दे जाना है,
माटी में ही जन्मे है..माटी में ही मिल जाना है.
तन की माटी होने से पहले माटी का कर्ज चुकाना है.

इस माटी के हर कण में लिखी है बलिदानों की कहानी,
हर बालक है यहाँ शिवा- बाला झाँसी वाली रानी,
आहुतियाँ  इतिहास बनी है ,
हमको भी एक पन्ना लिखवाना है,
माटी में ही जन्मे है..माटी में ही मिल जाना है,
तन की माटी होने से पहले माटी का कर्ज चुकाना है.
मारवाड़ की रेत केसरिया , हिमालय का रंग सादा है,
जिस माटी में सोना उपजे ..खेतो का रंग हरियाला है.
तिरंगी मेरे देश की धरती ..
तिरंगे को कफ़न बनाना है.
माटी में ही जन्मे है..माटी में ही मिल जाना है.
तन की माटी होने से पहले माटी का कर्ज चुकाना है.

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