बुधवार, 25 अगस्त 2010

मंजिल

मंजिल
हर दिल में कोई ना कोई जुस्तजू है,
पर ख्वाहिशो की जमीन पर हमेशा कलियाँ ही नहीं खिलती..
कुछ  लोग कर लेते  है उसूलों  की कीमत पर सौदे,
बाकियों को कोई समझाये मंजिलें मुफ्त नहीं मिलती.

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