बुधवार, 5 सितंबर 2012

गीत नवनिर्माण का

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

शोषित है जो , पीड़ित है जो,

उनके काज हम करें .

निर्बल जो है दबे हुए,

आवाज उनकी हम बनें .

लालिमा है छा रही ,

प्रभात अब प्रतीत है .

स्मृति में अतीत है,

भविष्य का ये गीत है .

नए प्रारंभ का .. संकल्प आज में लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

 

भूख के श्राप से,

अविद्या के  पाप से,

जल रहा मनुष्य है,

भ्रष्टता के ताप से .

ज्ञानवान सब बने,

चरित्रवान सब बनें,

मुक्त हो समाज अब,

दरिद्रता अभिशाप से .

एक एक दीप जले .. तिमिर नाश के लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

 

श्रम का अधिष्ठान है,

मन में भगवान् है,

कल्पना के पंख है,

विज्ञानं की उड़ान है .

प्रलोभनों को छोड़कर ,

बंधनों को तोड़कर ,

बढे चले थके नहीं ,

विपत्ति से झुकें नहीं .

जीवन यह समर्पित है ... नवनिर्माण के लिए।।

 ध्येय ध्यास को लिए , जियें प्रयास को किये,

जियें समाज के लिए , जियें विकास के लिए।।

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